Tuesday, October 5, 2021

#करो_न_करो_ना - कोविड वैक्सीनेशन : मोहतरमा कहकशाँ जबी

 

#करो_न_करो_ना - कोविड वैक्सीनेशन : मोहतरमा कहकशाँ जबी

https://youtu.be/XhkbIrhKjWQ

किताबों की दुनिया वाक़ई अनोखी होती है | सिर्फ़ जानकारी में ही इज़ाफ़ा नहीं करती बल्कि गाहे-बगाहे हमारा हाथ पकड़ कर बचपन के उन गलियारों की भी सैर करा लाती है, जहाँ तक और किसी ज़रिए रसाई नामुमकिन है | कोरोना को ही देख लो | जब सारी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ था कि न जाने यह कौन सा नया वायरस है जिसने मौत को रूबरू ला खड़ा कर दिया है, तब विद्यार्थी जीवन में पढ़ी किताबों ने याद दिलाया कि इस वायरस का नाम हमने तो बचपन में ही पढ़ लिया था | यह और बात है कि तब हमने इसे कोविड के नाम से नहीं, बल्कि मामूली नज़ला-ज़ुकाम-खाँसी के रूप में जाना था, इसीलिए तब इसे रत्ती बराबर भी अहमियत नहीं दी थी | 

वैक्सीन के सिलसिले में भी यही बात लागू होती है | जब से होश संभाला, तब से ये ही पता था कि Meningococcal, Tetanus, Diphtheria, Pertussis, BCG, Influenza, Chickenpox, Hepatitis, Measles, Mumps, Polio, Pneumococcal, Rotavirus, Rubella जैसे तमाम टीके बच्चे की पैदाइश से लेकर किशोरावस्था तक लगा दिए जाते हैं ताकि वो ता-ज़िंदगी इन बीमारियों से महफ़ूज़ रह सके | लेकिन कोविड की वैक्सीन पहले बच्चों नहीं, बड़ों के लिए आई | और पहले बड़ों के लिए आई यही कोविड वैक्सीन फिर से हमें स्कूल में पढ़ी उन किताबों के सफ़र पर ले गई, जहाँ हमने पढ़ा था कि डॉक्टर एडवर्ड जेनर की ईजाद, चेचक का टीका भी, पहले बड़ों को लगाया गया | 

या फिर लॉकडाउन की ही बात कर लें | हमने क्या, हमारी किसी भी पिछली पीढ़ी ने न लॉकडाउन की मार झेली थी और न ही कभी इस निर्मम, ज़ालिम, क्रूर लफ़्ज़ को सुना तक था | पर किताबों पर हमें पूरा भरोसा था | लगा, कि हो न हो, इसका भी ज़िक्र किसी न किसी नाम से हमने बचपन में ज़रूर पढ़ा होगा | और इस बार भी किताबों ने भरोसा टूटने नहीं दिया | स्कूल के दिनों में पढ़ी शिवमंगल सिंह ‘सुमन’ की कविता नज़र से गुज़री | 

हम पंछी उन्मुक्त गगन के, पिंजरबद्ध न गा पाएँगे|

कनक-तीलियों से टकराकर, पुलकित पंख टूट जाएँगे ||

नीड़ न दो चाहे टहनी का, आश्रय छिन्न-भिन्न कर डालो |

लेकिन पंख दिए हैं, तो आकुल उड़ान में विघ्न न डालो ||

स्कूल में तो यह कविता महज़ पढ़ने के लिए पढ़ी थी | बड़े होने के बाद इसमें छिपी मासूम, बेज़ुबान पंछियों की उस पीड़ा का अहसास हुआ, जो वो पिंजरे में क़ैद होने पर झेलने को मजबूर होते हैं | लेकिन कोविड के कारण लगे 2 निर्मम लॉकडाउन ने इस कविता को देखने के लिए एक नया नज़रिया दे दिया | अचानक लगे लॉकडाउन से, घर से दूर फँस जाने वालों की व्यथा बिल्कुल वैसी ही लगी जैसी पिंजरे में क़ैद पंछी के दर्द की अक्कासी इस कविता में की गई है | 

चीन के वुहान से शुरू हुए, कोविड-19 का पहला मामला, भारत में 30 जनवरी 2020 को सामने आया था | हालांकि भारत से पहले कई देशों में यह वायरस फैल चुका था, जिसे देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी World Health Organisation ने 31 जनवरी को कोरोना वायरस को अंतरराष्ट्रीय आपदा घोषित किया था। इसके बाद जब दुनिया के अलग-अलग देशों में संक्रमण के मामले बढ़ने लगे तो WHO ने 11 मार्च को इसे वैश्विक महामारी घोषित कर दिया। दुनिया के कई देशों की तरह हमारे देश में भी इससे बचने का एक ही रास्ता दिखाई दिया - लॉकडाउन | सरकार ने 22 मार्च को पहले 'जनता कर्फ़्यू' का एलान किया और फिर अगले ही दिन यानी 23 मार्च से 21 दिन का लॉकडाउन घोषित कर दिया, जो बार-बार बढ़ाया जाता रहा | मंशा यह थी कि कोविड संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सके | पर जो भी इन लॉकडाउन्ज़ की ज़द में आए, यह सिर्फ़ वो ही जानते हैं कि लॉकडाउन से गुज़रना, कोविड संक्रमण से गुज़रने से कम दुःखदायी नहीं था |

कहकशाँ जबी और उनका परिवार भी उन्हीं बेक़ुसूर मगर लाचार लोगों में शामिल रहे, जो पिंजरे में क़ैद पंछी की तरह अपने घर पहुँचने को फड़फड़ा रहे थे, मगर पिंजरे के दरवाज़े पर लॉकडाउन नाम का ताला लगा था | एक वक़्त आया, जब ई-पास नाम की चाबी से यह ताला खुल भी गया, पर तब यातायात का कोई साधन नहीं था | हालत यह हो गई थी कि पिंजरा खुल जाने के बावजूद, पंख होते हुए भी और सामने खुला आसमान मयस्सर हो जाने पर भी, ये क़ैदी थे, बेबस थे, हर लम्हा उस समाधान को तलाशते थे, जो इन्हें इनकी मंज़िल तक पहुँचा दे |

बीबी कहकशाँ जबी, आपका बहुत शुक्रिया | आपने लॉकडाउन की अपनी आपबीती नक़्श के साथ साझा की | आपका कड़वा तजुर्बा समाज को यह पैग़ाम देता है कि अगर लॉकडाउन जैसी परेशानियों से बचना हो तो कोविड का टीका लगवाकर ख़ुद की और समाज की हिफ़ाज़त कर लें | ताकि पंख होने के बावजूद आकुल उड़ान में विघ्न न पड़ने पाए |

           ----------@------------@------------@-----------@----------


**To know NAQSH more, connect with us on social media. Visit our 


Website - 

www.naqsh.org.in


Facebook page -

https://www.facebook.com/naqsh.naqsh.73/


Twitter handle -

https://twitter.com/Naqsh17?s=08


Instagram account -

https://www.instagram.com/p/CQvt0oLHpK1/?utm_medium=share_sheet


Blog - 

https://draft.blogger.com/u/1/blogger.g?blogID=304274514506471721#allposts/postNum=0


YouTube channel -

https://youtube.com/c/naqshngo

No comments:

Post a Comment