Saturday, January 25, 2020

मुझे भी जीने दो ..


मुझे भी जीने दो ..

                मैंने एक बहुत हसीन ख़्वाब देखा था | माँ, मुझे गोद में लेकर लोरी सुनाएँगी | पिता, उंगली पकड़ कर चलना सिखाएँगे | नानी परियों की कहानियाँ सुनाएँगी, तो दादा अपने कंधों पर बिठाकर ख़ुद अपनी परी होने का एहसास मुझे दिलाएँगे | बहन से लाड लड़ाऊँगी, और भाई से ख़ूब लड़कर फिर मान जाऊँगी | बड़ी होकर ख़ूब नाम कमाऊँगी और सारी दुनिया की ख़ुशियों को जी भरकर जिऊँगी | मगर.. 
           सारे ख़्वाब, सारी हसरतें, सारी तमन्नाएँ, सारी ख़्वाहिशें दम तोड़ गए | दुनिया की रोशनी देखने से पहले ही माँ की कोख के सुरमई धुंधलके से, मौत के अंधेरे कुएँ में धकेल दिया गया मुझे | अभी तो मेरे शरीर ने पूरा आकार भी न लिया था कि मेरी साँसें मुझसे छीन ली गईं | बड़ी बेदर्दी से मेरी हत्या कर दी गई और किसी को कानों-कान इसकी भनक तक न लगी | ख़ुद मेरे ख़ामोश लबों में यह सवाल सिसकियाँ ले रहा है कि कौन है मेरा हत्यारा ? समाज को हज़ारों बरस से पीढ़ी दर पीढ़ी विरासत में मिलती आ रही पितृसत्तात्मक गली-सड़ी सोच या मेरे वो ही अपने, जिनके संग जीवन जीने के सतरंगी सपने संजोए थे ? पर जवाब नहीं है | कहीं नहीं है | बस कहीं अधूरी, अनकही हसरत बाक़ी है कि काश ! कोई तो मुझे मरने से बचा लेता |


                                 लड़की को भी पैदा होने का हक़ है..

--------@---------------@-------------@----------@---------

**To know NAQSH more, connect with us on social media. 
Subscribe our YouTube channel - https://www.youtube.com/channel/UCfDraAV_yCrphpKlRNbCZ9Q

Like our facebook page - https://www.facebook.com/naqsh.naqsh.73/

Follow us on twitter - https://twitter.com/Naqsh17?s=08

Write on our blog - https://draft.blogger.com/u/1/blogger.g?blogID=304274514506471721#allposts/postNum=0

Visit our website - www.naqsh.org.in

No comments:

Post a Comment